देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।
बाल-साहित्य
बाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। हिंदी बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। पंचतंत्र, हितोपदेश, अमर-कथाएँ व अकबर बीरबल के क़िस्से बच्चों के साहित्य में सम्मिलित हैं। पंचतंत्र की कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को बड़ी शिक्षाप्रद प्रेरणा दी गई है। बाल साहित्य के अंतर्गत बाल कथाएँ, बाल कहानियां व बाल कविता सम्मिलित की गई हैं।

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सबसे झूठा कौन? - भारत-दर्शन संकलन

एक बार शेख चिल्ली झज्जर के नवाब के यहाँ नौकरी करने लगे। नवाब साहब शेख चिल्ली को ख़ूब चाहते थे। उन्हें उनकी बातों में बहुत आनंद आता था लेकिन नवाब के छोटे भाई को शेख चिल्ली पसंद नहीं थे।   
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शेर और खरगोश की कहानी - विष्णु शर्मा

किसी घने जंगल में एक शेर रहता था। अपने पेट की भूख शांत करने के लिए वह हर रोज अनेक जानवरों को मार डालता था। इससे सभी जानवर चिंतित थे। सभी जानवरों ने एक सभा बुलाई और निर्णय लिया कि वे इस विषय पर शेर से बात करेंगे। शेर से बातचीत करने के बाद यह तय हुआ कि वे प्रतिदिन एक जानवर शेर के पास भेज देंगे। इस तरह यह क्रम चलता रहा और एक दिन एक खरगोश की बारी आई। वह शेर के हाथो मरना नहीं चाहता था। शेर के पास जाते हुए खरगोश खरगोश अपनी प्राण-रक्षा के बारे में किच रहा था कि रास्ते में उसे एक कुआं दिखाई दिया, जिसके पानी में खरगोश को अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया। उसे एक युक्ति सूझी। उसने शेर के पास पंहुचकर कहा, “महाराज! मैंने रास्ते में आपसे भी अधिक शक्तिशाली शेर देखा। वह मुझे मारकर खा जाना चाहता था लेकिन लेकिन मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर आपके पास पहुंचा हूँ।”
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उत्तम जीवन | बाल कथा - भारत-दर्शन संकलन

गरुड़ पक्षियों का राजा है। ऊँचे आकाश में वह विहार करता है। बेचारी मधु-मक्खी, छोटी-सी जान! दिन भर इधर-उधर भटककर रस इकट्ठा करती है। एक बार जब गरुड़ पानी पीने पृथ्वी पर उतरा, दोनों की भेंट हुई।
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करें सियार, हुआ हुआ - सोम्या

सूरज की गर्मी से तपकर 
पानी उड़कर भाप बना 
फुदक-फुदक चिड़िया रानी ने 
लिया, घोंसला एक बना।
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कल के सपने - सरस्वती कुमार दीपक

बच्चे धरती के प्यारे हैं, 
ये कल के सपने न्यारे हैं।
जीवन की चंचल नदिया के, 
बच्चे अनमोल किनारे हैं।
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