हास्य काव्य

भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।

इस श्रेणी के अंतर्गत

आदमी से अच्छा हूँ ....!

- हलीम 'आईना'

भेड़िए के चंगुल में फंसे
मेमने  ने कहा--
'मुझ मासूम को खाने वाले
हिम्मत है तो
आदमी को खा!'
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ढोल, गंवार...

- सुरेंद्र शर्मा

मैंने अपनी पत्नी से कहा --
"संत महात्मा कह गए हैं--
ढोल, गंवार, शुद्र, पशु और नारी
ये सब ताड़न के अधिकारी!"
[इन सभी को पीटना चाहिए!]
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एप्रिल फूल | हास्य काव्य

- प्रो० मनोरंजन

एप्रिल फूल आज है साथी,
आओ, तुमको मूर्ख बनाऊँ;
मैं भी हँसू, हँसो कुछ तुम भी,
फिर तुम मैं, मैं तुम बन जाऊँ।
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