हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। - स्वामी दयानंद।
लोक-कथाएं
क्षेत्र विशेष में प्रचलित जनश्रुति आधारित कथाओं को लोक कथा कहा जाता है। ये लोक-कथाएं दंत कथाओं के रूप में एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में प्रचलित होती आई हैं। हमारे देश में और दुनिया में छोटा-बड़ा शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे लोक-कथाओं के पढ़ने या सुनने में रूचि न हो। हमारे देहात में अभी भी चौपाल पर गांववासी बड़े ही रोचक ढंग से लोक-कथाएं सुनते-सुनाते हैं। हमने यहाँ भारत के विभिन्न राज्यों में प्रचलित लोक-कथाएं संकलित करने का प्रयास किया है।

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धरती की उत्पत्ति - रोहित कुमार ‘हैप्पी'

सामोअन लोगों का मानना है की पहले केवल आकाश और पानी ने पृथ्वी को ढका हुआ था। एक बार तांगालोआ (सामोअन देवता) ने आकाश से नीचे की ओर देखा। उन्होंने अपने खड़े होने के लिए एक जगह बनाने का विचार किया। उन्होंने एक चट्टान का निर्माण किया ताकि वे उस पर आराम कर सकें। इसके बन जाने पर वे बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सोचा इस इससे अतिरिक्त भी कुछ और जगह का निर्माण किया जाए, जहाँ वे विश्राम कर सकें। उन्होंने इस चट्टान को दो भागों में विभक्त कर दिया। यही दो चटाने सामोआ की सवाई और उपोलु बनी इसी से आगे टोंगा फीजी और अन्य द्वीप बने।

जब तांगालोआ ने अपना काम समाप्त कर लिया तो वे सामोआ लौट गए। उन्होंने सवाई द्वीप और मानुआ द्वीप के बीच की दूरी नापी तो उन्हें लगा की यह दूरी बहुत अधिक है। इसी कारण उन्होंने इन दोनों के बीच में एक और चट्टान बना दी, जो द्वीप के मुखियाओं के काम के लिए रखी गई।
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