भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
बाल-साहित्य
बाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। हिंदी बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। पंचतंत्र, हितोपदेश, अमर-कथाएँ व अकबर बीरबल के क़िस्से बच्चों के साहित्य में सम्मिलित हैं। पंचतंत्र की कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को बड़ी शिक्षाप्रद प्रेरणा दी गई है। बाल साहित्य के अंतर्गत बाल कथाएँ, बाल कहानियां व बाल कविता सम्मिलित की गई हैं।

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चांदी का चमचा | बालकथा - चांद वर्मा

गंगा के किनारे तेजभानु राजा की नगरी थी। राजा बहुत गुणी और तेजस्वी था। उसके दरबार में अनेकों प्रखर बुद्धि वाले विद्वान थे जिनपर राजा को बहुत गौरव था । यूं तो सभी एक से बढ़ कर एक योग्य पंडित थे परन्तु दीर्घ बुद्धि नाम का विद्वान अपनी विलक्षण बुद्धि के कारण सब जगह विख्यात था।
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चींटी सेना - विष्णु शर्मा

बहुत समय पहले की बात है। किसी वन में एक अजगर रहता था। वह बहुत अभिमानी तो था ही, अत्यंत क्रूर भी था। वह जब बाहर निकलता सब जीव उससे डरकर भागने लगते। एक बार अजगर शिकार की तलाश में घूम रहा था। सारे जीव उसे बाहर निकला देख भाग चुके थे। उसे कुछ न मिला तो वह क्रोधित होकर फुफकारते हुए, भोजन की तलाश करने लगा। एक हिरणी अपने नवजात शिशु को पत्तियों के ढेर के नीचे छिपाकर स्वयं भोजन की तलाश में दूर निकल गई थी।
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यदि चूहे दहाड़ सकते - रस्किन बॉण्ड

यदि चूहे दहाड़ सकते,
हाथी भर सकते उड़ान
और पेड़ उगते नभ में,
बिस्किट खा बाघ करते मदिरापान,
और सबसे मोटे लोग भी उड़ सकते!
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काला कौआ - जी० आर०

काला कौआ आओ! आओ!!
दूध कटोरी का पी जाओ!
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