यूँ तो मिलना-जुलना चलता रहता है
मिलकर उनका जाना खलता रहता है
...
ग़ज़लें
ग़ज़ल क्या है?
यह आलेख उनके लिये विशेष रूप से सहायक होगा जिनका ग़ज़ल से परिचय सिर्फ पढ़ने सुनने तक ही रहा है, इसकी विधा से नहीं। इस आधार आलेख में जो शब्द आपको नये लगें उनके लिये आप ई-मेल अथवा टिप्पणी के माध्यम से पृथक से प्रश्न कर सकते हैं लेकिन उचित होगा कि उसके पहले पूरा आलेख पढ़ लें; अधिकाँश उत्तर यहीं मिल जायेंगे।
एक अच्छी परिपूर्ण ग़ज़ल कहने के लिये ग़ज़ल की कुछ आधार बातें समझना जरूरी है। जो संक्षिप्त में निम्नानुसार हैं:
ग़ज़ल- एक पूर्ण ग़ज़ल में मत्ला, मक्ता और 5 से 11 शेर (बहुवचन अशआर) प्रचलन में ही हैं। यहॉं यह भी समझ लेना जरूरी है कि यदि किसी ग़ज़ल में सभी शेर एक ही विषय की निरंतरता रखते हों तो एक विशेष प्रकार की ग़ज़ल बनती है जिसे मुसल्सल ग़ज़ल कहते हैं हालॉंकि प्रचलन गैर-मुसल्सल ग़ज़ल का ही अधिक है जिसमें हर शेर स्वतंत्र विषय पर होता है। ग़ज़ल का एक वर्गीकरण और होता है मुरद्दफ़ या गैर मुरद्दफ़। जिस ग़ज़ल में रदीफ़ हो उसे मुरद्दफ़ ग़ज़ल कहते हैं अन्यथा गैर मुरद्दफ़।
इस श्रेणी के अंतर्गत
हमने अपने हाथों में
हमने अपने हाथों में जब धनुष सँभाला है,
बाँध कर के सागर को रास्ता निकाला है।
...
मैं जिसे ओढ़ता -बिछाता हूँ | दुष्यंत कुमार
मैं जिसे ओढ़ता -बिछाता हूँ
वो गज़ल आपको सुनाता हूँ।
...
मेरे दुख की कोई दवा न करो | ग़ज़ल
मेरे दुख की कोई दवा न करो
मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो
...
दो-चार बार... | ग़ज़ल
दो-चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए
...
क्या कहें ज़िंदगी का फ़साना मियाँ | ग़ज़ल
क्या कहें ज़िंदगी का फ़साना मियाँ
कब हुआ है किसी का ज़माना मियाँ
...
मतदान आने वाले ,सरगर्मियाँ बढ़ीं | ग़ज़ल
मतदान आने वाले, सरगर्मियाँ बढ़ीं।
झाँसे में हमको लेने फ़िर कुर्सियाँ बढ़ीं।।
...
वो बचा रहा है गिरा के जो
वो बचा रहा है गिरा के जो, वो अज़ीज़ है या रक़ीब है
न समझ सका उसे आज तक, कि वो कौन है जो अजीब है
...
ज़हन में गर्द जमी है---
तुम बहुत सो चुके हो जगिए भी तो सही,
ज़िंदा हो अगर ज़िंदा लगिए भी तो सही।
...