हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। - मैथिलीशरण गुप्त।
दोहे
दोहा मात्रिक अर्द्धसम छंद है। इसके पहले और तीसरे चरण में 13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक दल में 24 मात्राएं होती हैं। दूसरे और चौथे चरण के अंत में लघु होना आवश्यक है। दोहा सर्वप्रिय छंद है।

कबीर, रहीम, बिहारी, उदयभानु हंस, डा मानव के दोहों का संकलन।

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हलीम 'आईना' के दोहे  - हलीम 'आईना'

आज़ादी को लग चुका, घोटालों का रोग।
जिसके जैसे दांत हैं, कर ले वैसा भोग ॥
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आयुर्वेदिक देसी दोहे  - भारत-दर्शन संकलन

रस अनार की कली का, नाक बूंद दो डाल।
खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
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