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बाल-साहित्य |
बाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। हिंदी बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। पंचतंत्र, हितोपदेश, अमर-कथाएँ व अकबर बीरबल के क़िस्से बच्चों के साहित्य में सम्मिलित हैं। पंचतंत्र की कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को बड़ी शिक्षाप्रद प्रेरणा दी गई है। बाल साहित्य के अंतर्गत बाल कथाएँ, बाल कहानियां व बाल कविता सम्मिलित की गई हैं। |
Articles Under this Category |
बरखा बहार - भव्य सेठ |
देखो भाई बरखा बहार |
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मेरा भी तो मन करता है - डॉ. जगदीश व्योम |
मेरा भी तो मन करता है |
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ऐसा वर दो - त्रिलोक सिंह ठकुरेला |
भगवन् हमको ऐसा वर दो। |
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नटखट चिड़िया - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
चीं-चीं करके गाती चिड़िया |
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पापा, मुझे पतंग दिला दो - त्रिलोक सिंह ठकुरेला |
पापा, मुझे पतंग दिला दो, |
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सीधा-सादा - शेरजंग गर्ग |
सीधा-सादा सधा सधा है |
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कैंप गीत - डॉ. वंदना मुकेश | इंग्लैंड |
इक नया भारत यहाँ बसाएंगे |
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बनमानुस की दर्दनाक कहानी - मुंशी प्रेमचंद | Munshi Premchand |
आज हम तुम्हें एक बनमानुस का हाल सुनाते हैं। सामने जो तसवीर है, उससे तुम्हें मालूम होगा कि बनमानुस न तो पूरा बंदर है, न पूरा आदमी। वह आदमी और बन्दर के बीच में एक जानवर है। मगर वह बड़ा बलवान होता है और आदमियों को बड़ी आसानी से मार डालता है। वह अधिकतर अफ्रीका के जंगल में पाया जाता है। |
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किस नदी का पानी सबसे अच्छा - अकबर बीरबल के किस्से |
एक बार अकबर ने अपने दरबारियो से पूछा, "बताओ किस नदी का पानी सबसे अच्छा है?" |
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दादी कहती दाँत में | बाल कविता - प्रीता व्यास | न्यूज़ीलैंड |
दादी कहती दाँत में मंजन नित कर नित कर नित कर |
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कम्प्यूटर | बाल गीत - रेखा राजवंशी | ऑस्ट्रेलिया |
नहीं चाहिए मुझको ट्यूटर |
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दीदी को बतलाऊंगी मैं | बाल कविता - दिविक रमेश |
बड़ी हो गई अब यह छोड़ो |
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ऐसे पड़ गया नाम 'शेख चिल्ली' - भारत-दर्शन संकलन |
शेख चिल्ली के अनेक किस्से है। उनका नाम शेख चिल्ली कैसे पड़ा, इसपर भी कई किस्से हैं! उनके नाम के साथ 'चिल्ली' उनके द्वारा 40 दिन तक लगातार प्रार्थना, जिसे 'चिल्ला' कहते हैं, करने के कारण पड़ा, यह भी कहा जाता है। एक और मजेदार किस्सा इस प्रकार है: |
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चतुर चित्रकार - रामनरेश त्रिपाठी |
चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र। |
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पानी और धूप - सुभद्रा कुमारी |
अभी अभी थी धूप, बरसने |
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राजा का महल | बाल-कविता - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
नहीं किसी को पता कहाँ मेरे राजा का राजमहल! |
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बुद्धिमान हंस - पंचतंत्र |
एक विशाल वृक्ष था। उसपर बहुत से हंस रहते थे। उनमें एक वृद्ध बुद्धिमान और दूरदर्शी हंस था। उसका सभी हंस आदर करते थे। एक दिन उस वृद्ध हंस ने वृक्ष की जड के निकट एक बेल देखी। बेल उस वृक्ष के तने से लिपटना शुरू कर चुकी थी। इस बेल को देखकर वृद्ध हंस ने कहा, देखो, बेल को नष्ट कर दो। एक दिन यह बेल हम सभी के लिए संकट बन सकती है। |
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जामुन - श्रीप्रसाद |
पौधा तो जामुन का ही था |
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प्रकृति विनाशक आखिर क्यों है? - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) |
बिस्तर गोल हुआ सर्दी का, |
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बूंदों की चौपाल - प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Prabhudyal Shrivastava |
हरे- हरे पत्तों पर बैठे, |
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