अपने को आता है
बस इसमें ही रस
वर्ष में मना लेते
एक दिन हिंदी दिवस
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कविताएं
इस श्रेणी के अंतर्गत
अबू बिन आदम और देवदूत | अनूदित कविता
एक रात अबू बिन आदम, घोर स्वप्न में जाग पड़े।
देखा जब कमरे को अपने, हुए महाशय चकित बड़े॥
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हिंदी देश की शान
एकता की सूचक हिदी भारत माँ की आन है,
कोई माने या न माने हिदी देश की शान है।
भारत माँ का प्राण है
भारत-गौरव गान है।
सैकड़ों हैं बोलियाँ पर हिदी सबकी जान है,
सुंदर सरस लुभावनी ये कोमल कुसुम समान है।
हृदय मिलाने वाली हिदी नित करती उत्थान है,
कोई माने या न माने हिदी सत्य प्रमाण है।
भारत माँ की प्राण है,
भारत-गौरव गान है।
सागर के सम भाव है इसमें रस तो अमृतपान है,
मन को सदा लुभाती हिदी बहुरत्नों की खान है।
भाषा हिदी देश की बिदी, घर ये हिदुस्तान है,
कोई माने या न माने हिदी निज सम्मान है।
भारत माँ की प्राण है,
भारत-गौरव गान है।
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हिंदी है भारत की बोली
दो वर्तमान का सत्य सरल,
सुंदर भविष्य के सपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो
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मातृभाषा प्रेम पर भारतेंदु के दोहे
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल॥
अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन॥
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भारतेन्दु की मुकरियां
सब गुरुजन को बुरो बतावै ।
अपनी खिचड़ी अलग पकावै ।।
भीतर तत्व न झूठी तेजी ।
क्यों सखि सज्जन नहिं अँगरेजी ।।
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अमर शहीदों को नमन
अमर शहीदों ने धरती पर लहू से हिंदुस्तान लिखा है
भारत माता के सजदे में मेरा देश महान लिखा है।
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