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मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!
युग-युग, प्रतिदिन, प्रतिक्षण, प्रतिपल
प्रियतम का पथ आलोकित कर।
सौरभ फैला विपुल धूप बन
मृदुल मोम-सा धुल रे मृदुतन।
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु-अणु गल।
पुलक-पुलक मेरे दीपक जल!
सारे शीतल कोमल नूतन,
...
सब बुझे दीपक जला लूं
सब बुझे दीपक जला लूं
घिर रहा तम आज दीपक रागिनी जगा लूं!
क्षितिज कारा तोडकर अब
गा उठी उन्मत आंधी,
अब घटाओं में न रुकती
लास तन्मय तडित बांधी,
धूल की इस वीणा पर मैं तार हर त्रण का मिला लूं!
भीत तारक मूंदते द्रग
...
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