देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को समझ पाता है। - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

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मुझको याद किया जाएगा

आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।

मान-पत्र मैं नहीं लिख सका
राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक रहा जनम से
सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये
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नीरज के हाइकु

जन्म मरण
समय की गति के
हैं दो चरण

#

किसको मिला
वफा का दुनिया में
वफा ही सिला

#


वो हैं अकेले
दूर खड़े होकर
देखें जो मेले

#

मेरी जवानी
कटे हुये पंखों की
एक निशानी

#


वो है अपने
देखें हो मैंने जैसे
...

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कोई नहीं पराया

कोई नहीं पराया, मेरा घर संसार है।

मैं ना बँधा हूँ देश-काल की जंग लगी जंजीर में,
मैं ना खड़ा हूँ जाति-पाति की ऊँची-नीची भीड़ में,
मेरा धर्म ना कुछ स्याही-शब्दों का सिर्फ गुलाम है,
मैं बस कहता हूँ कि प्यार है तो घट-घट में राम है,
...

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