मैं दोराहे के बीच खड़ा था और वे दोनों मुझे डसने को तैयार थे। एक तरफ सांप था और दूसरी तरफ आदमी।
मैंने ज्यादा विचारना उचित नहीं समझा। सोचा सांप शायद जहरीला न हो या शायद उसका डंक चूक जाए लेकिन आदमी से तो मैं भली-भाँति परिचित था।
....और मैं सांप वाले रास्ते की ओर बढ़ गया।
- रोहित कुमार 'हैप्पी' संपादक, भारत-दर्शन न्यूज़ीलैंड
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