मैं नहीं समझता, सात समुन्दर पार की अंग्रेजी का इतना अधिकार यहाँ कैसे हो गया। - महात्मा गांधी।

कठपुतली

 (बाल-साहित्य ) 
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रचनाकार:

 त्रिलोक सिंह ठकुरेला

ठुमक-ठुमक नाचे कठपुतली 
सबके मन को मोहे।
रंग बिरंगे सुन्दर कपड़े 
उसके तन पर सोहे॥

हाथ नचाती, पैर नचाती, 
रह रह कमर घुमाती। 
नये नये करतब दिखलाकर 
सबका मन बहलाती॥

उसे थिरककर नचा रहे हैं 
आशाओं के धागे। 
सपनों के नव पंख लगाकर 
बढ़ती जाती आगे॥ 

तुम भी व्यर्थ सोचना छोड़ो
मिलकर खुशी मनाओ।
जीवन का हर दिन उत्सव है, 
झूमो, नाचो, गाओ॥

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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