मैं जीवन में कुछ कर न सका जग में अंधियारा छाया था, मैं ज्वाला ले कर आया था, मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका । मैं जीवन में कुछ कर न सका !
बीता अवसर क्या आएगा, मन जीवन-भर पछताएगा, मरना तो होगा ही मुझको, जब मरना था तब मर न सका । मैं जीवन में कुछ कर न सका !
-हरिवंशराय बच्चन |