मैं नहीं समझता, सात समुन्दर पार की अंग्रेजी का इतना अधिकार यहाँ कैसे हो गया। - महात्मा गांधी।

कुछ कर न सका 

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan

मैं जीवन में कुछ कर न सका 
जग में अंधियारा छाया था, 
मैं ज्वाला ले कर आया था, 
मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका । 
मैं जीवन में कुछ कर न सका ! 

बीता अवसर क्या आएगा, 
मन जीवन-भर पछताएगा, 
मरना तो होगा ही मुझको, जब मरना था तब मर न सका । 
मैं जीवन में कुछ कर न सका !

-हरिवंशराय बच्चन 

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