ऐ मातृभूमि! तेरी जय हो, सदा विजय हो। प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कातिमय हो॥
अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में, संसार के हृदय में, तेरी प्रभा उदय हो।
तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो। तेरी प्रसन्नता ही आनंद का विषय हो॥
वह भक्ति दे कि बिस्मिल' सुख में तुझे न भूलें, वह शक्ति दे कि दुख मे कायर न यह हृदय हो॥
-रामप्रसाद बिस्मिल [शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की स्वरचित रचनाएँ]
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