भारतीय साहित्य और संस्कृति को हिंदी की देन बड़ी महत्त्वपूर्ण है। - सम्पूर्णानन्द।

तुम्हारे रक्त में बहूं मैं

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 प्रीता व्यास | न्यूज़ीलैंड

मेरी ख़ामोशी का
ये अर्थ नहीं
कि मै बस राख हूँ
गौर से देखो
राख की परतों तले
सुलगती आग भी है
अगर तुम्हें जलने का डर ना हो
तो ये आग उठाकर
अपने दिल में रख लो
मै चाहती हूँ
कि तुम्हारी नसों में
बहते रक्त के साथ
ऊर्जा बनकर
मै जिंदगी भर बहती रहूँ।

-प्रीता व्यास
 न्यूज़ीलैंड

 

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