हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है। - शारदाचरण मित्र।

वे डरते हैं

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 गोरख पाण्डेय

किस चीज़ से डरते हैं वे
तमाम धन-दौलत
गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज के बावजूद?
वे डरते हैं
कि एक दिन
निहत्थे और ग़रीब लोग
उनसे डरना
बंद कर देंगे ।

-गोरख पाण्डेय
(रचनाकाल 1979)

 

[जागते रहो सोने वालो, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 1983]

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