जनम-जनम की पहचानी वह तान कहाँ से आई ! किसने बाँसुरी बजाई
अंग-अंग फूले कदंब साँस झकोरे झूले सूखी आँखों में यमुना की लोल लहर लहराई ! किसने बाँसुरी बजाई
जटिल कर्म-पथ पर थर-थर काँप लगे रुकने पग कूक सुना सोए-सोए हिय मे हूक जगाई ! किसने बाँसुरी बजाई
मसक-मसक रहता मर्मस्थल मरमर करते प्राण कैसे इतनी कठिन रागिनी कोमल सुर में गाई ! किसने बाँसुरी बजाई
उतर गगन से एक बार फिर पी कर विष का प्याला निर्मोही मोहन से रूठी मीरा मृदु मुस्काई ! किसने बाँसुरी बजाई
-जानकी वल्लभ शास्त्री
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