यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद। 

सपना (काव्य)    Print this  
Author:स्वरांगी साने

खुली आँखों से
सपना देखती
सपने को टूटता देखती
खुद को अकेला देखती

फिर भी
वो सपना देखती।

- स्वरांगी साने
   ई-मेल: swaraangisane@gmail.com

 

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