हिन्दी भाषा देशज भाषा,
निज भाषा अपनाएँ।
खुद ऊँचा उठें, राष्ट्र को भी--
ऊँचा ले जाएँ॥
निज भाषा में हो अभिव्यक्ति, सच्ची और अनूठी।
निज भाषा में गुरुजन देते, हैं विद्या की बूटी॥
निज भाषा में बाल बालिका,
जल्दी शिक्षा पाएँ॥
निज भाषा में मनन करें और निज भाषा में चिंतन।
प्रगति के पथ पर उतनी ही, चढ़ें सीढ़ियाँ निश दिन॥
निज भाषा से मिले प्रतिष्ठा--
ऋषि जन यही बताएँ॥
हिन्दी है वह भाषा जिसने, आजादी दिलवाई।
पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण, समरसता बरसाई॥
सरल सहज और प्रेम की भाषा--
जनगण मंगल गाएँ॥
बहुत बड़े भाग की भाषा, बहुत बड़ा परिवार।
इसके अपनाने से पहुँचे, चहुँदिशि में व्यापार॥
देश-विदेशी मल्टीनेशनल,
सब इसको अपनाएँ॥
हिन्दी भाषा देशज भाषा,
निज भाषा अपनाएँ॥
-डॉ माणिक मृगेश