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चेहरा जो किसी शख्स का... (काव्य) |
Author: नरोत्तम शर्मा
चेहरा जो किसी शख्स का दिखता है सभी को
अक्सर वह उसी शख्स का चेहरा नहीं होता
कोई तो सुनेगा जिसे गम अपना सुना दें
दुनिया में हर एक शख्स तो बहरा नहीं होता
नाकामियों का इस कदर दिल में न कर गिला
दुनिया में हर सर पे तो सेहरा नहीं होता
चाहत नहीं छिपेगी उसे लाख छुपाओ
खुशबू पे किसी फूल के पहरा नहीं होता
पहचान ना पाए जो किसी को, वो आदमी
कितना भी समझदार हो गहरा नहीं होता
- नरोत्तम शर्मा
[ग़ज़ले ही ग़ज़लें]