हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है। - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।
 

पुस्तक समीक्षा : आदि इत्यादि (विविध)

Author: रोहित कुमार हैप्पी

पुस्तक का शीर्षक: आदि इत्यादि 
लेखक: डॉ. हरी सिंह पाल 
प्रकाशक: एस. कुमार एण्ड कम्पनी, नई दिल्ली, भारत
प्रकाशन वर्ष: 2024
मूल्य: 550 रुपये
ISBN: 978-93-95095-61-7

आदि-इत्यादि पुस्तक के लेखक डॉ. हरिसिंह पाल  भारतीय प्रसारण सेवा से सेवानिवृत्त हैं। वर्तमान में नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री हैं। सौरभ (न्यूयॉर्क, अमेरिका) एवं नागरी संगम (शोध पत्रिका, दिल्ली) के प्रधान संपादक हैं। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य, डॉ पाल लोकसाहित्य में पी-एच.डी हैं।

आदि-इत्यादि  हिंदी भाषा, लिपि एवं साहित्य विषयक निबंध-संग्रह है। पुस्तक में संगृहीत 20 निबंध समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से कुछ  हिन्दी संस्थानों हेतु शोध-पत्र प्रस्तुति के लिए भी लिखे गए थे। यथा इनमें विषय की विविधता स्वाभाविक है। ये भाषा, लिपि, संस्कृति, लोकसाहित्य, व्यक्तित्वपरक और दलित साहित्य चितंन एवं हिंदी साहित्य विषयक हैं। 

इस संग्रह में ‘लिपि और भाषाः संस्कृति के वाहक’, ‘नागरी लिपि की सशक्तता’, ‘राष्ट्रीय एकता और अखंडता की प्रेरकः हिंदी’, ‘हिंदी को समृद्ध करने में नागरी की भूमिका’, ‘अंतर्कथा राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन की’, ‘हिंदी के विकास में हिंदीतर विद्वानों का योगदान’, ‘भारतेतर हिन्दी विद्वान’, ‘हिंदी में विज्ञान लेखन’, ‘राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का भारतीय भाषा-प्रेम’, ‘लोककथाओं का रोचक संसार’, ‘भारत में लोक साहित्य की पृष्ठभूमि’, ‘राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का लोकसाहित्य पर प्रभाव’, ‘लोक संस्कृति के समक्ष वर्तमान चुनौतियाँ’, ‘रसेश्वर और योगेश्वर : भगवान श्रीकृष्ण’, ‘साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में : योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण’, ‘इन मुसलमान कवियन पै कोटिक हिन्दू बारिए’, ‘हिंदी के प्रथम कवि : अमीर खुसरो’, ‘दलित समाज के साहित्यिक सरोकार’, और ‘नारी सशक्तिकरण के प्रेरक डॉ. भीमराव अम्बेडकर’ निबंध सम्मिलित हैं। 

‘आदि-इत्यादि’ हिंदी के शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण पुस्तक प्रमाणित होगी, जो हिन्दी भाषा-लिपि एवं साहित्य को समझने में सहायक है। 

भाषा और शैली
डॉ. हरी सिंह पाल की लेखनी में स्पष्टता और सरलता है, जो जटिल विषयों को भी सरलता  से समझने योग्य बनाती है। उनकी भाषा अकादमिक होने के साथ-साथ प्रवाहपूर्ण और रोचक है। पाठकों को बांधे रखने की क्षमता इस पुस्तक की एक बड़ी विशेषता है। 

पुस्तक की विशेषताएँ
• विविध विषयों का समावेश
पुस्तक में साहित्य, भाषा विज्ञान, लोक साहित्य, विज्ञान लेखन और साहित्यिक आलोचना जैसे विविध विषयों को गहनता से समेटा गया है। विषयों की विविधता ही इसे एक व्यापक और बहुआयामी पठनीय पुस्तक बनाती है।

• सामयिकता और प्रासंगिकता
लेखक ने समकालीन हिंदी भाषा की चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की है, जिससे यह पुस्तक वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है। इसमें उन समस्याओं का भी उल्लेख है, जिनका सामना हिंदी भाषा को आज के दौर में करना पड़ रहा है।

• शोधपरक दृष्टिकोण
यह पुस्तक न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें शोधपरक सामग्री भी दी गई है, जो इसे अकादमिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाती है। लेखक ने हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं पर गहन शोध किया है और उसके आधार पर तर्क प्रस्तुत किए हैं।

निष्कर्ष
आदि इत्यादि एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो हिंदी भाषा, लिपि, और साहित्य पर विस्तृत एवं  गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। यह न केवल भाषा के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी है, बल्कि उन पाठकों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो हिंदी के विकास और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को समझना चाहते हैं। डॉ. हरी सिंह पाल ने हिंदी भाषा की व्यापकता और उसकी प्रासंगिकता को सटीक रूप से प्रस्तुत किया है।

आदि इत्यादि हिंदी भाषा और साहित्य के संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों में एक मील का पत्थर प्रमाणित हो सकती है। यह पाठकों को न केवल हिंदी के प्रति जागरूक करती है, बल्कि उसकी गरिमा और महत्ता को भी पुनर्स्थापित करने का प्रयास करती है। 

समीक्षक : रोहित कुमार हैप्पी
संपादक : भारत-दर्शन ऑनलाइन पत्रिका, न्यूज़ीलैंड  
ई-मेल : editor@bharatdarshan.co.nz

*लेखक इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली हिन्दी पत्रिका ‘भारत-दर्शन’ के संपादक हैं।

 

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