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दही-बड़ा (बाल-साहित्य ) |
Author: श्रीप्रसाद
सारे चूहों ने मिल-जुलकर
एक बनाया दही-बड़ा।
सत्तर किलो दही मँगाया
फिर छुड़वाया दही-बड़ा॥
दिन भर रहा दही के अंदर
बहुत बड़ा वह दही-बड़ा।
फिर चूहों ने उसे उठाकर
दरवाज़े से किया खड़ा॥
रात और दिन दही-बड़ा ही
अब सब चूहे खाते हैं।
मौज मनाते गाना गाते
कहीं न घर से जाते हैं॥
- श्रीप्रसाद