Important Links
आयुर्वेदिक देसी दोहे (काव्य) |
Author: भारत-दर्शन संकलन
रस अनार की कली का, नाक बूंद दो डाल।
खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
भून मुनक्का शुद्ध घी, सैंधा नमक मिलाए।
चक्कर आना बंद हों, जो भी इसको खाए।।
गरम नीर को कीजिए, उसमें शहद मिलाए।
तीन बार दिन लीजिए, तो जुकाम मिट जाए।।
गाजर का पियो स्वरस नींंबू अदरक लाए।
भूख बढ़े आलस भागे, बदहजमी मिट जाए।।
जब भी लगती है तुम्हे भूख कड़ाकेदार।
भोजन खाने के लिए हो जाओ तैयार।।
दूध गधी का लगाइए मुंहासों पर रोज।
खत्म हमेशा के लिए, रहे न बिल्कुल खाज।।
सरसो तेल पकाइए, दूध आक का डाल।
मालिश करिए छानकर, समझ खाज का काल।।
मूली रस में डालकर, लेओ जलेबी खाए।
एक सप्ताह तक खाइए, बवासीर मिट जाए।।
प्रात:काल जो नियम से, भ्रमण करे हर रोज।
बल-बुद्धि दोनों बढ़ें, मिटे कब्ज का खोज।।
लहसुन के दो टुकड़े, करिए खूब महीन।
श्वेत प्रदर जड़ से मिटे, करिए आप यकीन।।
दूध आक का लगा लो, खूब रगड़ के बाद।
चार-पांच दिन में खत्म, होय पुराना दाद।।
- अज्ञात