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अवध में राना भयो मरदाना (काव्य) |
Author: लोक-साहित्य
अवध में राना भयो मरदाना।
पहिल लड़ाई भई बकसर मां सेमरी के मैदाना।
हुवां से जाय पुरवामां जीत्यो तबै लाट घबराना।
नक्की मिले, मानसिंह मिलिगै जानै सुदर्शन काना।
छत्री बंश एकु ना मिलि है जानै सकल जहाना।
भाई बंधु औ कुटुम कबीला सबका करौ सलामा।
तुम तो जाय मिल्यो गोरन ते हमका है भगवाना।
हाथ मा भाला बगल सिरोही घोडा चलै मस्ताना।
कहैं दुलारे सुन मेरे प्यारे यों राना कियो पयाना ।।
[ अवध के राणा वेनीमाधव की वीरता को बखान करता 1857 का लोकगीत।