अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
हमने किए जो वादे | ग़ज़ल (काव्य)  Click to print this content  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

हमने किए जो वादे उन्हें तोड़ते नहीं
कितनी भी मुश्किलें हों राहें छोड़ते नहीं।
 
टूटे दिलों को जोड़ना तो रब का काम है
बंदे हैं दिल किसी का हम तोड़ते नहीं।
 
ग़ैरों की आप छोड़िए अपने भी कम नहीं
मौका जिसे मिले वो उसे छोड़ते नहीं।
 
हमको बुज़ुर्गों ने सिखाये हैं क़ायदे
बेमेल रिश्ते हम कभी जोड़ते नहीं।
 
दिल से उन्हें बुलाओगे तो आएंगे जरूर
'रोहित' कहा वो आपका तो मोड़ते नहीं।

          - रोहित कुमार 'हैप्पी'

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