चिट्ठी में है मन का प्यार चिट्ठी है घर का अखबार इस में सुख-दुख की हैं बातें प्यार भरी इस में सौग़ातें कितने दिन कितनी ही रातें तय कर आई मीलों पार।
यह आई मम्मी की चिट्ठी लिखा उन्होंने प्यारी किट्टी मेहनत से तुम पढ़ना बेटी पढ़-लिखकर होगी होशियार। पापा पोस्ट कार्ड लिखते हैं। घने-घने अक्षर दिखते हैं।
जब आता है बड़ा लिफ़ाफ़ा समझो चाचा का उपहार। छोटा-सा काग़ज़ बिन पैर करता दुनिया भर की सैर नए-नए संदेश सुनाकर जोड़ रहा है दिल के तार।
- प्रकाश मनु
#
कवि/लेखक | प्रकाश मनु का जीवन-परिचय
प्रकाश मनु का जन्म 12 मई, 1950 को शिकोहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। प्रकाश मनु बाल-साहित्य के सुपरिचित हस्ताक्षर माने जाते हैं। आपने बच्चों के लिए ढेरों पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘एक था ठुनठुनिया', ‘गोलू भागा घर से' (बाल उपन्यास), ‘भुलक्कड़ पापा', 'मैं जीत गया पापा', 'तेनालीराम के चतुराई के किस्से', ‘लो चला पेड़ आकाश में', ‘इक्यावन बाल कहानियां', ‘चिन-चिन चूँ' बाल कहानियां), ‘हाथी का जूता', ‘इक्यावन बाल कविताएँ', ‘बच्चों की एक सौ एक कविताएँ' (बाल कविताएँ) पुस्तकें उल्लेखनीय हैं।
आपने ‘हिन्दी बाल कविता का इतिहास' लिखा है और आजकल 'बाल साहित्य का इतिहास' लिखने में व्यस्त हैं।
बच्चों के अतिरिक्त सामान्य पाठक-वर्ग के लिए लिखे गए आपके उपन्यास ‘यह जो दिल्ली है', ‘कथा सर्कस' तथा ‘पापा के जाने के बाद' भी प्रसिद्ध हैं।
आपको कविता-संग्रह ‘छूटता हुआ घर' पर प्रथम गिरिजाकुमार माथुर स्मृति पुरस्कार प्राप्त हुआ। हिन्दी अकादमी के ‘साहित्यकार' सम्मान से भी सम्मानित हुए। प्रकाश मनु बच्चों की लोकप्रिय पत्रिका ‘नन्दन' के साथ लगभग 25 वर्षों तक जुड़े रहे।
|