अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 

विपदाओं से रक्षा करो, यह न मेरी प्रार्थना | बाल-कविता

 (बाल-साहित्य ) 
 
रचनाकार:

 रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore

विपदाओं से रक्षा करो-
यह न मेरी प्रार्थना,
यह करो : विपद् में न हो भय।
दुख से व्यथित मन को मेरे
भले न हो सांत्वना,
यह करो : दुख पर मिले विजय।

मिल सके न यदि सहारा,
अपना बल न करे किनारा; -
क्षति ही क्षति मिले जगत् में
मिले केवल वंचना,
मन में जगत् में न लगे क्षय।

करो तुम्हीं त्राण मेरा-
यह न मेरी प्रार्थना,
तरण शक्ति रहे अनामय।
भार भले कम न करो,
भले न दो सांत्वना,
यह करो : ढो सकूँ भार-वय।
सिर नवाकर झेलूँगा सुख,
पहचानूँगा तुम्हारा मुख,
मगर दुख-निशा में सारा
जग करे जब वंचना,
यह करो : तुममें न हो संशय।

- रवीन्द्रनाथ ठाकुर

[अनुवाद - युगजीत नवलपुरी]

#
Children's Literature by Rabindranath Tagore

Ravindranath Ka Bal Sahitya: A selection of Rabindranath Tagore's writings for children.
(रवीन्द्रनाथ का बाल साहित्य)

#

 

Back
 
Post Comment
 
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश