देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
 
लोलुप शृंगाल  (कथा-कहानी)       
Author:भारत-दर्शन संकलन | Collections

एक नदी के किनारे दो भेड़ लड़ रहे थे। क्रोध से दोनों भेड़ दूर हट-हट करके पुनः एकत्र होकर मस्तकों से एक-दूसरे पर प्रहार कर रहे थे। उन दोनों के मस्तक से रुधिर निकलने लगा। इसी बीच वहाँ एक शृंगाल आ पहुंचा और वहाँ बहती हुई रुधिर की धारा को देखकर लोभ में दोनों के बीच में घुसकर रुधिर पीने लगा। इसके बाद उन दोनों के मस्तक के प्रहार के बीच में पड़कर शृंगाल मर गया।

शिक्षा : जब दो लोग कलह कर रहे हों तो बीच में शृंगाल की तरह नहीं घुसना चाहिए।

[प्रबंधपञ्चशती]

 

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश