सुमित्रानंदन पंत जयंती | 20 मई |Sumitra Nandan Birth Anniversary |
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सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के कैसोनी गाँव में 20 मई 1900 को हुआ था। इनके जन्म के कुछ घंटों पश्चात् ही इनकी माँ चल बसी। आपका पालन-पोषण आपकी दादी ने ही किया। आपका वास्तविक नाम गुसाई दत्त रखा गया था। आपको अपना नाम पसंद नहीं था सो आपने अपना नाम सुमित्रानंदन पंत रख लिया। सुमित्रानंदन पंत का जीवन-परिचय व रचनाएं पढ़ें। |
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बाँध दिए क्यों प्राण |
सुमित्रानंदन पंत की हस्तलिपि में उनकी कविता, 'बाँध दिए क्यों प्राण'
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सुख-दुख | कविता |
मैं नहीं चाहता चिर-सुख, मैं नहीं चाहता चिर-दुख, सुख दुख की खेल मिचौनी खोले जीवन अपना मुख ! सुख-दुख के मधुर मिलन से यह जीवन हो परिपूरन; फिर घन में ओझल हो शशि, फिर शशि से ओझल हो घन ! जग पीड़ित है अति-दुख से जग पीड़ित रे अति-सुख से, मानव-जग में बँट जाएँ दुख सुख से औ’ सुख दुख से ! अविरत दुख है उत्पीड़न, अविरत सुख भी उत्पीड़न; दुख-सुख की निशा-दिवा में, सोता-जगता जग-जीवन ! यह साँझ-उषा का आँगन, आलिंगन विरह-मिलन का; चिर हास-अश्रुमय आनन रे इस मानव-जीवन का !
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स्वप्न बंधन |
बाँध लिया तुमने प्राणों को फूलों के बंधन में एक मधुर जीवित आभा सी लिपट गई तुम मन में! बाँध लिया तुमने मुझको स्वप्नों के आलिंगन में! तन की सौ शोभाएँ सन्मुख चलती फिरती लगतीं सौ-सौ रंगों में, भावों में तुम्हें कल्पना रँगती, मानसि, तुम सौ बार एक ही क्षण में मन में जगती! तुम्हें स्मरण कर जी उठते यदि स्वप्न आँक उर में छवि, तो आश्चर्य प्राण बन जावें गान, हृदय प्रणयी कवि? तुम्हें देख कर स्निग्ध चाँदनी भी जो बरसावे रवि! तुम सौरभ-सी सहज मधुर बरबस बस जाती मन में, पतझर में लाती वसंत, रस-स्रोत विरस जीवन में, तुम प्राणों में प्रणय, गीत बन जाती उर कंपन में! तुम देही हो? दीपक लौ-सी दुबली कनक छबीली, मौन मधुरिमा भरी, लाज ही-सी साकार लजीली, तुम नारी हो? स्वप्न कल्पना सी सुकुमार सजीली ? तुम्हें देखने शोभा ही ज्यों लहरी सी उठ आई, तनिमा, अंग भंगिमा बन मृदु देही बीच समाई! कोमलता कोमल अंगों में पहिले तन घर पाई!
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