भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
 
श्रमिक दिवस - 1, मई | May Day
   
 

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस अर्थात् मई दिवस (May Day) 1886 में शिकागो में आरंभ हुआ। श्रमिक मांग कर रहे थे कि काम की अवधि आठ घंटे हो और सप्ताह में एक दिन का अवकाश हो। इस दिन श्रमिक हड़ताल पर थे। इस हड़ताल के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने बम फोड़ दिया तत्पश्चात् पुलिस गोलाबारी में कुछ मजदूर मारे गए, साथ ही कुछ पुलिस अफसर भी मारे गए।

1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय महासभा की द्वितीय बैठक में फ्रेंच क्रांति को याद करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया कि इसको अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, उसी समय से विश्व भर के 80 देशों में 'मई दिवस' को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता प्रदान की।

विश्व के लगभग सभी देशों में श्रमिक दिवस या मई दिवस मनाया जाता है। निसंदेह विभिन्न देशों में इसे मनाने का तरीका भिन्न हो सकता है किंतु इसका मूलभूत आशय व उद्देश्य मजदूरों को मुख्य धारा में बनाए रखना और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति समाज में जागरुकता लाना ही है।

भारत में मई दिवस पहली बार वर्ष 1923 में मनाया गया जिसका सुझाव सिंगारवेलु चेट्टियार नामक कम्यूनिस्ट नेता ने दिया. उनका कहना था कि दुनियां भर के मजदूर इस दिन को मनाते हैं तो भारत में भी इसको मान्यता दी जानी चाहिए। मद्रास में मई दिवस मनाने की अपील की गई। इस अवसर पर वहां कई जनसभाएं और जुलूस आयोजित कर मजदूरों के हितों के प्रति सभी का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया। इस प्रकार भारत में 1923 से इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता दी गई।

न्यूजीलैंड में, श्रमिक दिवस - न्यूजीलैंड में श्रम दिवस (Labour Day) अक्टूबर के चतुर्थ सोमवार को होता है।  इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है। न्यूजीलैंड में श्रम दिवस का इतिहास 'एक दिन में आठ घंटे काम वाले आंदोलन' से जुड़ा हुआ है।  यह 1840 में नव गठित वेलिंग्टन कॉलोनी में हुआ था। यहां के एक बढ़ई सेम्युल डंकन पार्नेल (Samuel Duncan Paell) ने दिन में आठ घंटे से अधिक काम करने पर आपत्ति जताई और अपना विरोध दर्ज किया। सेम्युल पार्नेल ने अन्य कर्मियों को भी प्रोत्साहित किया कि वे भी दिन में आठ घंटे से अधिक काम न करें। बाद में इस विचार ने एक आंदोलन का रूप ले लिया। श्रमिकों की एक सभा ने दिन में आठ घंटे से अधिक काम न करने के विचार को एक प्रस्ताव के रूप में पारित किया।

28 अक्टूबर 1890 को 'आठ घंटे के दिन' की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक परेड निकाली गई। तत्पश्चात् प्रतिवर्ष अक्टूबर अंत में 'श्रमिक दिवस' मनाया जाने लगा। 1899 में न्यूज़ीलैंड सरकार ने इस दिन को एक सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता दी और 1900 से सैंवधानिक रूप से 'लेबर डे' का सार्वजनिक अवकाश होने लगा। यह दिन देश के विभिन्न क्षेत्रों प्रांतों में अलग-अलग दिन मनाया जाता था। इससे नौका व जहाज के मालिकों को यह समस्या आने लगी कि नाविक एक बंदरगाह पर 'श्रमिक दिवस' की छुट्टी रखता तो कई बार दूसरे बंदरगाह पर (जोकि अन्य क्षेत्र में होता) फिर श्रमिक दिवस के अवकाश की मांग करने लगता। इस प्रकार नौका व जहाजों पर काम करने वाले लोग इसका लाभ उठाने लगे। जहाज मालिकों ने सरकार को शिकायत की और 1910 में सरकारी अवकाश देश भर में एक ही दिन पर निर्धारित किया गया जोकि अक्टूबर के चतुर्थ सोमवार को होता है।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 
 
Posted By harsha   on  Thursday, 01-01-1970
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