मैं नहीं समझता, सात समुन्दर पार की अंग्रेजी का इतना अधिकार यहाँ कैसे हो गया। - महात्मा गांधी।

गिरीश पंकज

गिरीश पंकज का पूरा नाम गिरीशचंद्र उपाध्याय है। आपका जन्म 1 नवंबर 1957 को बनारस में हुआ। आपकी संपूर्ण शिक्षा-दीक्षा छत्तीसगढ़ में हुई। आप पत्रकारिता में स्नातक और हिंदी में एम.ए हैं।

कृतियाँ
आपके आठ उपन्यास, एक किस व्यंग्य संग्रह, दो कहानी संग्रह, चार गज़ल संग्रहों सहित कुल अस्सी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है।

आप पिछले 40 वर्षों से साहित्य पत्रकारिता में सक्रिय है। आपको अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है।

ईमेल
girishpankaj1@gmail.com

Author's Collection

Total Number Of Record :2

सिलेंडर

भयानक महामारी के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर की ज़रूरत पड़ रही थी। आपदा को कमाई का ज़बरदस्त अवसर समझ कर उसने निर्धारित दर से तीन-चार गुना अधिक कीमत में सिलेंडर बेचना शुरू कर दिया। हालत यह हो गई कि दुकान का अंतिम सिलेंडर भी उसने तगड़ी कीमत पर बेच डाला और बहुत प्रसन्न हुआ। मगर अचानक सिलेंडर भरवाने का काम रुक गया क्योंकि ऑक्सीजन की आपूर्ति ही नहीं हो पा रही थी । तभी उसे पता चला कि उसकी माँ संक्रमित हो गई और उन्हें ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। लेकिन अब बेटे के पास सिलेंडर ही नहीं था। उसने यहां-वहां संपर्क किया। मनचाही कीमत भी देनी चाही, लेकिन व्यवस्था न हो सकी।

...

More...

श्रम का वंदन | जन-गीत

जिस समाज में श्रम का वंदन, केवल वही हमारा है।
आदर हो उन सब लोगों का, जिनने जगत सँवारा है।
होते न मजदूर जगत में, हम सिरजन ना कर पाते।
भवन, सड़क, तालाब, कुऍं कैसे इनको हम गढ़ पाते।
श्रमवीरों के बलबूते ही, अपना वैभव सारा है।
...

More...
Total Number Of Record :2

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश