अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
 
अभिषेक गुप्ता

अभिषेक गुप्ता का जीवन परिचय

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ज़िन्दगी

अधूरे ख़त
अधूरा प्रेम
अधूरे रिश्ते
अधूरी कविता
अधूरे ख्वाब 
अधूरा इंसान
पूरी ज़िन्दगी

- अभिषेक गुप्ता

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डूब जाता हूँ मैं जिंदगी के

डूब जाता हूँ मैं ज़िंदगी के
उन तमाम अनुभावों में
जब खोलता हूँ अपने जहन की
एल्बम पन्ना दर पन्ना और
जब झांकता हूँ उन यादों में

कुछ यादें सकूं देती हैं
कुछ यादें परेशान करती हैं
कुछ प्रतिशोध की आग में जलाती हैं
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