Author's Collection
Total Number Of Record :4मेरा भी तो मन करता है
मेरा भी तो मन करता है
मैं भी पढ़ने जाऊँ
अच्छे कपड़े पहन
पीठ पर बस्ता भी लटकाऊँ
क्यों अम्मा औरों के घर
झाडू-पोंछा करती है
बर्तन मलती, कपड़े धोती
पानी भी भरती है
अम्मा कहती रोज
‘बीनकर कूड़ा-कचरा लाओ'
...
बचपन से दूर हुए हम
छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम
अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आया
कपड़ों को अपने बदलना न आया
लाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम
अँग्रेजी शब्दों का पढ़ना-पढ़ाना
...
सो गई है मनुजता की संवेदना
सो गई है मनुजता की संवेदना
गीत के रूप में भैरवी गाइए
गा न पाओ अगर जागरण के लिए
कारवाँ छोड़कर अपने घर जाइए
झूठ की चाशनी में पगी जिन्दगी
आजकल स्वाद में कुछ खटाने लगी
सत्य सुनने की आदी नहीं है हवा
...
माँ
माँ कबीर की साखी जैसी
तुलसी की चौपाई-सी
माँ मीरा की पदावली-सी
माँ है ललित रुबाई-सी
माँ वेदों की मूल चेतना
माँ गीता की वाणी-सी
माँ त्रिपिटक के सिद्ध सुत्त-सी
लोकोत्तर कल्याणी-सी
माँ द्वारे की तुलसी जैसी
...