यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं। - राजेन्द्र प्रसाद।
 
स्वरांगी साने

स्वरांगी साने का जन्म ग्वालियर में, शिक्षा इंदौर में और उनका कार्यक्षेत्र पुणे है। आप लोकमत समाचार, पुणे की पूर्व वरिष्ठ उप संपादक रही हैं।

जीवन का लक्ष्यः कुछ सृजनशील लमहों की खोज।

शिक्षाः
- एम. ए. (कथक) (स्वर्णपदक विजेता) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
- बी.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य) प्रथम श्रेणी
- विशेष योग्यता (Distinction) के साथ कथक विशारद (Distinction), अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल, मिरज (मुंबई)
- डिप्लोमा इन बिज़नेस इंग्लिश, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर

विशेष
- पदन्यास नाम से कथक नृत्य शाला की स्थापना, संचालन
- अखिल भारतीय गंधर्व महाविद्यालय मंडल, मिरज (मुंबई) द्वारा मान्यता प्राप्त कथक शिक्षक
- सदस्य, इंटरनैशनल डांस काउंसिल- CID / यूनेस्को
- इंटरनैशनल डांस डायरेक्टरी में नाम सम्मिलित
- भारतीय भाषाओं के काव्य के सर्वप्रथम और सबसे विशाल ऑनलाइन विश्वकोष-कविता कोश में रचनाएँ।
- भारत सरकार के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र- Center for Cultural Resources and Training (CCRT) की वेबसाइट के आर्टिस्ट प्रोफाइल में नाम, संक्षिप्त परिचय शामिल।

पत्रकारिता के क्षेत्र में उपलब्धियाँ
- राज्य स्तर का सर्वोत्तम गोपीकृष्ण गुप्ता रिपोर्टिंग पुरस्कार, 2004
- उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत अकादेमी द्वारा खजुराहो नृत्य समारोह, 2004 में रिपोर्टिंग के लिए आमंत्रित
- मध्य प्रदेश कला परिषद द्वारा आयोजित मांडु उत्सव -2003 का दैनिक भास्कर के लिए कवरेज

नृत्य, नाटक, रेडियो और टीवी
- 1992 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित नाट्य शिविर में निर्धारित आयुसीमा से कम होने के बावज़ूद चयन।
- 2018 में पुणे में आयोजित आशियाना करंडक प्रतियोगिता में एकांकी स्पर्धा में भागीदारी।
- 1995-96 के दौरान अंतर विश्वविद्यालयीन वाद - विवाद प्रतियोगिता में भाग लिया।
- इंदौर कलैक्टरेट द्वारा आयोजित साक्षरता अभियान, 1991 में जत्था कलाकार के रूप में भागीदारी।
- इंदौर आकाशवाणी द्वारा प्रसारित "उस लड़की का नाम क्या है" रूपक के लिए 1989 भारतीय परिवार कल्याण विभाग द्वारा प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। उसमें लड़की की भूमिका का निर्वाह।
- पुणे आकाशवाणी के लिए महाराष्ट्र की आषाढ़ी वारी पर कवि दिलीप चित्रे के वृत्त चित्र का 2007 में अंग्रेजी से हिंदी रूपांतरण किया जिसे आकाशवाणी का अखिल भारतीय स्तर का प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- इंदौर दूरदर्शन पर समाचार वाचक (News reader) के रूप में भी कार्य किया।
- शौकिया रंगमंच पर कई सालों तक अभिनय। कई प्रतिष्ठित मंचों यथा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी (लखनऊ - 2003), मध्यप्रदेश कला परिषद (निमाड़ उत्सव (2004), राष्ट्रीय रामायण मेला (चित्रकूट -1996) के मंचों पर कथक प्रस्तुति।
- सच्चिदानंद सोसाइटी कोलकाता द्वारा बैंगलूर में आयोजित प्रज्ञानपुरुष श्री श्री बाबा ठाकुर को समर्पित अध्यात्मिक संध्या (शास्त्रीय नृत्य कथक और शास्त्रीय गायन) आयोजन में सूत्र संचालन (मई 2017)।

कार्यक्षेत्र: नृत्य, कविता, पत्रकारिता, संचालन, अभिनय, साहित्य-संस्कृति-कला समीक्षा, आकाशवाणी पर वार्ता और काव्यपाठ।

आयोजन: वाट्सएप्प के दस्तक साहित्यिक समूह के रचनाकारों की तीसरी बैठक (11-12 फरवरी 2017) के पुणे में दो दिवसीय आवासीय आयोजन का पूरा।

दारोमदार अकेले कंधों पर सफलतापूर्वक वहन। जिसमें पुणे के अलावा मुंबई, फलटण, गुना, भोपाल, इंदौर आदि स्थानों के तीस से अधिक रचनाकारों की भागीदारी।

प्रकाशित कृति :
- काव्य संग्रह "शहर की छोटी-सी छत पर" 2002 में मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित और म.प्र.राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के कार्यक्रम में म.प्र. के महामहिम राज्यपाल द्वारा सम्मानित।
- काव्य संग्रह "वह हँसती बहुत है" महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा द्वारा स्वीकृत अनुदान से प्रकाशित।
- मध्यप्रदेश साहित्य परिषद द्वारा सन् 1997 से 2000 तक काव्यपाठ हेतु नियमित आमंत्रित।
- साहित्य अकादमी और महाराष्ट्र राष्ट्रसभा सभा की गोष्ठी में काव्यपाठ 2008
- पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशितः कादंबिनी, इंडिया टु़डे (स्त्री), वागर्थ, नवनीत, साक्षात्कार, भोर, कल के लिए, आकंठ, जनसत्ता (सबरंग), शेष, वर्तमान साहित्य,गोलाकुंडा दर्पण, समावर्तन के रेखांकित स्तंभ में, कलासमय, मंतव्य-3,वेबदुनिया, अहा ज़िंदगी, यथावत, मुक्तांगण आसरा, सार्थक नव्या, पल्स ऑफ़ इंडिया, विभोम-स्वर,समय के साखी आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ-लेख प्रकाशित।
- साहित्य, कला, संस्कृति और इतिहास की द्वैभाषिक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘सेतु' में कविताएँ प्रकाशित।
- कैनडा से निकलने वाली पत्रिका ‘पंजाब टुडे' (13 अप्रैल 2017) के भाषांतर में कविताओं का पंजाबी अनुवाद प्रकाशित।
- मराठी दिवाली अंक 2015- ‘उद्याचा मराठवाड़ा' में हिंदी कविता का मराठी अनुवाद प्रकाशित।
- साथ ही वैबदुनिया ने यू ट्यूब पर मेरी कविताओं को सर्वप्रथम श्रव्य-दृश्यात्मक माध्यम से प्रस्तुत किया।
ANUNAD.com, asuvidha.blogspot.com, jankipul.blogspot.com, kritya.blogspot.com, medium.com, samalochan.com, swaymsidha.blogspot.com, shabdankan.blogspot.com, classicalclaps.com आदि में लेख-कविताएँ पोस्ट।

कार्यानुभव:
- स्वतंत्र पत्रकारिता 1990 से 1997। इंदौर से प्रकाशित साप्ताहिक पत्र ‘प्रभातकिरण' में स्तंभलेखन, औरंगाबाद
से प्रकाशित पत्र ‘लोकमत समाचार' में रिपोर्टर, इंदौर से प्रकाशित ‘दैनिक भास्कर' में कला समीक्षक नगर रिपोर्टर, पुणे से प्रकाशित ‘आज का आनंद' में सहायक संपादक और पुणे के लोकमत समाचार में वरिष्ठ उप संपादक के रूप में कार्य।

वॉइस ओव्हर:
- पुणे स्थित अंतरराष्ट्रीय कंपनी एस्पायर के लिए 138 दस्तावेजों के वॉइस ओव्हर का कार्य, सीडी में रूपानंतरण, तमाम डॉक्यूमेंट्स का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद भी।
- प्राची प्रकाशन, मुंबई से 2006 में प्रकाशित पुस्तक साइकॉलाजी ऑफ लर्निंग एंड टीचिंग (डिप्लोमा इन एजुकेशन
के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए) का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद।
- उक्त प्रकाशक के लिए महाराष्ट्र शासन के शिक्षा एवं विस्तार विभाग से स्वीकृत एक अन्य पुस्तक एनवायरमेंटल स्टडीज एंड सोशल साइंस का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद (डिप्लोमा इन एजुकेशन के द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए)।
- पुणे आकाशवाणी के लिए महाराष्ट्र की आषाढ़ी वारी पर कवि दिलीप चित्रे के वृत्त चित्र का 2007 में अंग्रेजी से हिंदी रूपांतरण, जिसे आकाशवाणी का अखिल भारतीय स्तर का प्रथम पुरस्कार प्राप्त (पूर्व उल्लेखित)।
- CDAC, पुणे के लिए अब तक ग्यारह फिल्मों यथा- तीन मराठी फिल्में - देवुल, एक कप चहा, पाली ते संबुरान, चार कन्नड़ फिल्में कुर्मावतार, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित डॉ. के. शिवराम कारंथ के उपन्यास पर आधारित बेट्टदा जीवा-पहाड़ी इंसान, मौनी एवं स्टंबल,तीन बांग्ला फिल्म निशब्द, जानला एवं सांझबातिर रूपकथा और एक असमी फिल्म - कोयाद के अंग्रेजी सबटाइटल का हिंदी अनुवाद . साथ ही तीन फिल्मों के सब टाइटल्स का वेलिडेशन-नाबार (पंजाबी,शिवेरी(मराठी) और माहुलबनी सेरंग (बांग्ला)।
- CDAC, पुणे के लिए- डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर स्मारक संग्रहालय में रखे जाने वाले छायाचित्रों के अंग्रेजी कैप्शन का हिंदी अनुवाद का कार्य।
- CDAC, पुणे के लिए- पेटेंट आवेदन प्रकाशन की 150 से अधिक फ़ाइलों के अनुवाद का कार्य।
- CDAC, पुणे के लिए- जीवन बीमा संबंधी तीन सौ से अधिक फाइलों का अनुवाद।
- भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान( इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी- आईआईटीएम)और जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र (सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज रिसर्च सेंटर-सीसीसीआर), पुणे के वैज्ञानिक डॉ. मिलिंद मुजुमदार के लिए वैज्ञानिक पर्चों का अनुवाद।
- गार्डियन फार्मेसीज के संस्थापक अध्यक्ष और 5 बेस्ट सेलर पुस्तकों के लेखक आशुतोष गर्ग के लिए निरंतर अनुवाद का कार्य।
- मूषक एप्प के लिए हिंदी में सेवाएँ प्रदत्त।

अंतिम कार्यकाल:
लोकमत समाचार,पुणे में वरिष्ठ उप संपादक के रूप में 3 जून 2012 - 31 मई 2015 तक।

संप्रति:
- सी-डैक की पंजीकृत अनुवादक
- स्तंभ लेखन
- स्वतंत्र अनुवादक।

सम्पर्क:
ई-मेल : swaraangisane@gmail.com
ए-2/504, अटरिया होम्स, आर. के. पुरम् के निकट, रोड नं. 13, टिंगरे नगर, मुंजबा वस्ती के पास, धानोरी, पुणे-411015
मोबाइलः +91 9850804068

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सपना

खुली आँखों से
सपना देखती
सपने को टूटता देखती
खुद को अकेला देखती

फिर भी
वो सपना देखती।

- स्वरांगी साने
   ई-मेल: swaraangisane@gmail.com

 

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पीहर

कविता में जाना
मेरे लिए पीहर जाने जैसा है।

मुक़ाम पर पहुँचते ही
लिवाने आ जाते हैं शब्द

दिमाग का सारा ज़रूरी, गैर ज़रूरी सामान
रख देते हैं कल्पना की गाड़ी में।
घूमती हूँ मन की सँकरी-चौड़ी सड़कों पर
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प्याज़

बहुत सारा
प्याज़ काटने बैठ जाती थी माँ।
कहती थी मसाला भूनना है।

दीदी को भी बड़ा प्यारा लगता
प्याज़ काटना।

तब समझ नहीं पाती थी
इतना अच्छा क्या है
प्याज़ काटने में

आज पूछती है बेटी
क्या हुआ?
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कछुआ

बचपन में कछुए को देखती
तो सोचती थी
क्या देखता होगा
इस तरह हाथ-पैर बाहर निकाल कर
खुले आकाश को
या उस दौड़ को
जिसमें जीता था
कभी उसका पुरखा।

समय के साथ जानने लगी
खतरा न हो तो ही
निकलता है कछुआ
खोल से बाहर।
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प्रतीक्षा

बेटी आने वाली है
यह सोच कर
उसकी आँखें सुपर बाजार हो जाती हैं
और वो सुपर वुमन।
पूरे मोहल्ले को खबर कर देती है
कहती है- दिन ही कितने बचे हैं, कितने काम हैं

कुछ उसके सामने
कुछ पीठ पीछे हँसते हैं
कि बेटी न हुई
...

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कागज़

उन पीले ज़र्द कागज़ों के पास
कहने को बहुत कुछ था।
उन कोरे नए कागज़ों के पास
भीनी महक के अलावा कुछ न था।

पीले पड़ चुके कागज़ों की
स्याही भी धुँधला गई थी
कोनों से होने लगे थे रेशा-रेशा
पर कितने अनकहे अनुभवों-अनुभूतियों को लिये थे वे।

हालाँकि
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