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Total Number Of Record :1गीली मिट्टी
नींद में ही जैसे मैंने माया की आवाज़ सुनी और चौंककर मेरी आंख खुल गई। बगल के पलंग पर नज़र गई, माया वहां नहीं थी। आज इतने सवेरे माया कैसे उठ गई, कुछ बात समझ में नहीं आई ।
आवाज़ दरवाज़े पर से आई थी । मैं हड़बड़ाकर उठा और वहां पहुंचा, तो क्या देखता हूं कि माया दरवाज़ा खोले खड़ी है और बाहर के बरामदे में एक दुबला-पतला आदमी, मंझोले कद का, सिर्फ़ एक जरासी लुगड़ी लपेटे, बाकी सब धड़ और टांगें नंगी, उकडू बैठा है। माया दरवाज़ा खोलने आई, तो आज सबसे पहले इसी आदमी के दर्शन हुए। मैंने भी देखा और मुझे भी गुस्सा आया कि यह मरदूद कैसे आ मरा । मैंने डपट कर पूछा-‘कौन हो तुम ? यहां कैसे आए ?"
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