[सर एडमंड हिलेरी ने 29 मई 1953 को एवरेस्ट विजय की थी। आज वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन 2007 को उनसे हुई बातचीत के अंश आपके लिए यहाँ पुन: प्रकाशित किए जा रहे है]
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विविध
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सर एडमंड हिलेरी से साक्षात्कार
अनमोल वचन | रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है।
- तथ्य कई हैं, लेकिन सच एक ही है।
- प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है।
- विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है।
- फूल एकत्रित करने के लिए ठहर मत जाओ। आगे बढ़े चलो, तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे।
- चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है।
- कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी।
- केवल खड़े रहकर पानी देखते रहने से आप सागर पार नहीं कर सकते।
- हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर खतरे न आएं, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका निडरता से सामना कर सकें।
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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कविगुरू रबीन्द्रनाथ ठाकुर
कविगुरु रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी जन्मभूमि बंगाल में शुरूआती सफलता प्राप्त की। वह साहित्य की सभी विधाओं में सफल रहे किन्तु सर्वप्रथम वह एक महान कवि थे। अपनी कुछ कविताओं के अनुवादों के साथ वह पश्चिमी देशों में भी प्रसिध्द हो गए। कविताओं की अपनी पचास और अत्यधिक लोकप्रिय पुस्तकों में से मानसी (1890), (द आइडियल वन), सोनार तरी (1894), (द गोल्डेन बोट) और गीतांजलि (1910) जिस पुस्तक के लिये उन्हें वर्ष 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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महान संत गुरूदेव टैगोर और महान आत्मा महात्मा गांधी | विशेष लेख
19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के शुरू में दो महान भारतीयों रवींद्रनाथ टैगोर और मोहनदास कर्मचंद गांधी के बीच एक संबंध और गहरा तादात्म्य स्थापित हो गया। वे दोनों भारतीयता, मानवता और प्रबंधन से मुक्ति के समर्थक थे। उनके बारे में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1941 में अपनी जेल डायरी में लिखा- ''गांधी और टैगोर, जो पूरी तरह एक-दूसरे से अलग प्रकार के थे और दोनों भारत के विशिष्ट व्यक्ति थे, की गणना भारत के महान पुरूषों में होती है।.... मैंने बहुत लंबे समय से यह महसूस किया है कि वे आज विश्व के असाधारण व्यक्ति है। निसंदेह, ऐसे अनेक व्यक्ति हैं, जो उनसे अधिक योग्य और अपने-अपने क्षेत्रों में उनसे महान प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। वे किसी एक गुण के कारण नहीं, बल्कि उनके सामूहिक प्रभाव के कारण मैंने महसूस किया कि गांधी और टैगोर आज विश्व के महान व्यक्तियों में मानव के रूप में सर्वोत्तम व्यक्ति थे। यह मेरा सौभाग्य था कि मैं उनके निकट संपर्क में आया।
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टैगोर - कवि, गीतकार, दार्शनिक, कलाकार और शिक्षा विशारद
'प्रसन्न रहना तो बहुत सहज है, परन्तु सहज रहना बहुत कठिन' ‑ रवीन्द्रनाथ टैगोर
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