मुहब्बत की रियासत में सियासत जब उभर जाये
प्रिये, तुम ही बताओ जिन्दगी कैसे सुधर जाये?
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हास्य काव्य
भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।
इस श्रेणी के अंतर्गत
वे और तुम | हज़ल
बेकाम कविता | हास्य कविता
मुझसे एक न पूछा--
"आप क्या करते हैं?"
मैंने कहा--"कविता करता हूँ।"
"कविता तो ठीक है,
आप काम क्या करते हैं?"
मुझे लगा,
कविता करना कोई काम नहीं है।
कविता वह करता है,
जिसको कोई काम नहीं है।
- कुंजबिहारी पांडेय
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