व्यंग्य

हिंदी व्यंग्य. Hindi Satire.

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बाप दादों की कील | व्यंग्य

- केशवचन्द्र वर्मा

हाजी जी ने जब अपना मकान बनवा लिया तो चैन की साँस ली। ऐसा मकान उस शहर में किसी के पास नहीं था। जो देखता वही यह कहता कि ऐसा मकान और किसी ने नहीं बनवाया। हाजी जी ने जब यह देखा तो उन्होंने अपना मकान अच्छे दामों में बेच डालने का निश्चय किया। उनका निश्चय जान कर बहुत-से लोग मकान खरीदने के लिए आने लगे। हाजी जी ने मकान खरीदने वालों के सामने सिर्फ़ एक शर्त रक्खी.... वह सारा मकान देने के लिए तैयार थे बस बात इतनी थी कि एक कमरे में एक कील गाढ़ी हुई थी जिस पर वे अपना अधिकार चाहते थे। बातचीत होते-होते अंततः एक आदमी इसके लिए तैयार हो गया। हाजी साहब एक छोटी-सी कील पर ही तो अपना अधिकार चाहते थे। उस आदमी ने सोचा चलो कोई बात नहीं। मकान अपना रहेगा। एक कील हाजी साहब की ही रहेगी।
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लिखने और छपने के टोटके!

- प्रभात गोस्वामी

रचनाओं के निरंतर अस्वीकृत होने की पीड़ा से त्रस्त लेखकजी को अब किसी पर विश्वास नहीं रहा। हारकर वह फिर से अंधविश्वासों पर यकीन करने को मजबूर हो रहे हैं। खिलाड़ियों से लेकर नेता लोग सब अंधविश्वासों का दामन थामे हुए हैं। आजकल किसी पर भी विश्वास करना मुश्किल हो गया है! तभी तो लोग फिर से टोने-टोटकों पर भरोसा करने लगे हैं।
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वे धन्यवाद नहीं ले रहे | व्यंग्य

- धर्मपाल महेंद्र जैन

मैं अपने समय के प्रतिष्ठित होते-होते बच गए व्यंग्यकार के साथ बैठा हूँ। उनका जेनेरिक नाम व्यंका है, ब्रांड नेम बाज़ार में आया नहीं, इसलिए अभी उनका नाम बताने में दम नहीं है।  यह चर्चा मोबाइल पर रिकॉर्ड हो रही है।
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