न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित 'भारत-दर्शन' मे आपका स्वागत है। यहाँ आप साहित्य संकलन और भारत-दर्शन द्वै-मासिक पत्रिका के अतिरिक्त हिंदी के अनेक संसाधनों से लाभान्वित हो सकते हैं।
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भारत-दर्शन का सितंबर-अक्तूबर 2025 अंक आपको भेंट।
आपका भारत-दर्शन 29 वर्ष का हो चुका है। यह अंक में भारत-दर्शन की उपलब्धियों, न्यूज़ीलैंड की हिंदी यात्रा, ऑनलाइन पत्रकारिता और न्यूज़ीलैंड में हिंदी भाषा, साहित्य और वैश्विक पटल पर उसकी स्थिति को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है।
इस अंक की कहानियों में अरुणा सब्बरवाल की 'रॉकिंग-चेयर', स्वयं प्रकाश की 'नेता जी का चश्मा', सुभाषिनी लता कुमार (फीजी) की 'फंदा', शिवालिक अवस्थी की 'तुम बेफिक्र रहो...' और रोहित कुमार 'हैप्पी' की 'हिंदी' सहित अनेक पठनीय रचनाएँ सम्मिलित हैं। आलेख एवं निबंध खंड वैश्विक हिंदी पर विशेष रूप से केंद्रित है, जिसमें रोहित कुमार 'हैप्पी' के न्यूज़ीलैंड में हिंदी पर लिखे गए लेख, सुषम बेदी का 'जापान का हिंदी संसार', विवेकानंद शर्मा का 'फीजी में हिंदी' और शिखा रस्तोगी का 'थाईलैंड में हिंदी' पर लिखा आलेख प्रमुख हैं। साथ ही, राहुल सांकृत्यायन का 'हिन्दी का स्थान', सुभाषचन्द्र बोस का 'हिंदी और राष्ट्रीय एकता' और हजारीप्रसाद द्विवेदी का 'आपने मेरी रचना पढ़ी?' जैसे विचारोत्तेजक लेख भी शामिल किए गए हैं।
कविता खंड में अटल बिहारी वाजपेयी की 'गूंजी हिन्दी', सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की 'हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र', रघुवीर सहाय की 'हमारी हिंदी' और गोपाल सिंह नेपाली की 'हिंदी है भारत की बोली' जैसी सशक्त रचनाएँ प्रस्तुत हैं। दोहों और रुबाइयों के अंतर्गत भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, काका हाथरसी, उदयभानु हंस और डॉ रामनिवास मानव की रचनाओं को स्थान दिया गया है। ग़ज़ल में कबीरदास की 'कबीर की हिंदी ग़ज़ल' को शामिल किया गया है।
बाल-साहित्य के अंतर्गत डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा' की 'हिन्दी ही अपने देश का गौरव है मान है' और आनन्द विश्वास की 'बच्चो, चलो चलाएं चरखा' जैसी रोचक रचनाएँ सम्मिलित हैं।
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