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कथा-कहानी अंक

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दीवाली पर विशेष -  हमारे सभी उत्सव कहीं न कहीं पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं और उनका वैज्ञानिक पक्ष भी नकारा नहीं जा सकता।

सागर पार बसे इस छोटे से देश न्यूज़ीलैंड में भी अपने तीज-त्योहार यथावत् रहें ऐसी हमारी भावना है।

कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीवाली का त्योहार मनाया जाता है। दीवाली को दीपावली भी कहा जाता है। दीवाली एक त्योहार भर न होकर, त्योहारों की एक श्रृंखला है। इस पर्व के साथ पांच पर्वों जुड़े हुए हैं। सभी पर्वों के साथ दंत-कथाएं जुड़ी हुई हैं। दीवाली का त्योहार दीवाली से दो दिन पूर्व आरम्भ होकर दो दिन पश्चात समाप्त होता है।

पढ़िए गोपालप्रसाद व्यास की हास्य कविता, 'दिवाली के दिन',  दीवाली पर 'नज़ीर' अकबराबादी की नज़्म, 'फ़िराक़' गोरखपुरी की रचना 'दीवाली के दीप जले', दीपावली बाल-गीत,  हरिवंशराय बच्चन की कविता, सुशांत सुप्रिय की कविताएं, 'साथी घर-घर आज दिवाली', नीरज के दीवाली गीत व अन्य कविताएं, लघु-कथाएंदीवाली की पौराणिक कथाएंआलेख


इस अँक में सम्मिलित हैं - कहानियाँ, कविताएं,
गीत, दोहे, ग़ज़लें, आलेख, लघु-कथाएंबाल-साहित्य


उपरोक्त सामग्री के अतिरिक्त  आप भारत-दर्शन के समग्र संचयन में भी कहानी, लघु-कथाएं, कविताएंबाल-साहित्य पढ़ सकते हैं जिनमें पत्रिका में प्रकाशित अभी तक प्रकाशित/अप्रकाशित सामग्री सम्मिलित है।


8 अक्टूबर को मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि होती है। पढ़िए, 'प्रेमचंद का अंतिम-दिन'।

 

हिंदी साहित्य में कथा-कहानी महत्वपूर्ण विधा है। नि:संदेह प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य में 'कहानी' को जो प्रतिष्ठा दिलाई उससे हिंदी-सासार भली-भांति परिचित है। प्रेमचंद कहानी का 'मानक' बन गए। कहानी की विकास यात्रा का अध्ययन करें तो कहानी-यात्रा को प्रेमचंद से पहले, प्रेमचंद युग व प्रेमचंद के पश्चात् विभक्त किया गया।  प्रेमचंद युग में केवल प्रेमचंद ही एकमात्र कहानीकार न थे। सुदर्शन, विशम्भरनाथ कौशिक, बेचैन शर्मा 'उग्र' तथा चतुरसेन शास्त्री कुछ उल्लेखनीय नाम हैं।

 

प्रेमचंद से पहले भी हिंदी कहानी  लिखी जाती थी और प्रेमचंद के बाद आज भी कहानी लिखी जाती है। हिंदी की पहली कहानी कौनसी थी, इसका संतोषजनक प्रमाणिक उत्तर नहीं मिलता। हिंदी की पहली कहानी कौनसी है, यह आज भी चर्चा का विषय है।  विभिन्न कहानियाँ 'पहली कहानी' होने की दावेदार रही हैं। आज भी इसपर चर्चा-परिचर्चा होती है।  सयैद इंशाअल्लाह खाँ की 'रानी केतकी की कहानी', राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद की लिखी 'राजा भोज का सपना' किशोरीलाल गोस्वामी की 'इंदुमती', माधवराव स्प्रे की 'एक टोकरी भर मिट्टी', आचार्य रामचंद्र शुक्ल की 'ग्यारह वर्ष का समय' व बंग महिला की 'दुलाई वाली' अनेक कहानियाँ हैं जिन्हें अनेक विद्वानों ने अपना पक्ष रखते हुए हिंदी की सर्वप्रथम कहानी कहा है।  इस प्रश्न का उत्तर जटिल है परंतु हमारा प्रयास है कि इन सभी कहानियों को 'भारत-दर्शन' में प्रकाशित किया जाए। यहाँ इसी प्रयास का आरंभ करते हुए इन्हीं में से कुछ कहानियाँ प्रकाशित की हैं। पाठकों को रोचक व पठनीय लगेंगी, ऐसा हमारा विश्वास है।

मैथिलीशरण गुप्त की 'भारत-भारती' व 'रामावतार त्यागी की, 'मैं दिल्ली हूँ' भी पढ़ें।

 

शहीद भगत सिंह जयंती पर भगत सिंह की रचनाएं व उनसे संबंधित साहित्य पढ़िए। इस अंक में 'भगत सिंह पर लिखी कुछ कविताएं', 'भगत सिंह की पसंदीदा शायरी', 'रंग दे बसंती चोला गीत का इतिहास', भगत सिंह का चर्चित आलेख, 'मैं नास्तिक क्यों हूँ?' चकबस्त की ग़ज़ल जो भगत सिंह गुनगुनाया करते थे, को सम्मिलित किया गया है।


हमारा प्रयास रहा है कि ऐसी सामग्री प्रकाशित की जाए जो इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है। आप पाएंगे की यहाँ प्रकाशित अधिकतर सामग्री केवल 'भारत-दर्शन' के प्रयास से इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही है । इस क्रम में हम कई कहानियाँ प्रकाशित कर चुके हैं जिनमें सुभद्राकुमारी चौहान की कहानी, 'होली' यशपाल की कहानी 'परदा' और जैनेन्द्र की कहानी, 'पाजेब' प्रकाशित की जा चुकी हैं । इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए इस बार हम खोजकर लाए हैं शिवरानी देवी प्रेमचंद की कहानी, 'कप्तान।'  धर्मवीर भारती की 'गुल की बन्नो!'

इस अँक में हिंदी ओ. सी. आर बनाने वाले डा ऑलिवर हेलविग से साक्षात्कार, हिंदी दिवस पर विशेष सामग्री, न्यूज़ीलैंड की हिंदी पत्रकारिता, सुभाषचंद्र बोस के विचार में, 'हिंदी और राष्ट्रीय एकता'।  

देश की एकता के लिए एक भाषा का होना जितना आवश्यक है, उससे अधिक आवश्यक है देश भर के लोगों में देश के प्रति विशुद्ध प्रेम तथा अपनापन होना।  - नेताजी सुभाषचंद्र बोस

इस अंक में कविताओं के अंतर्गत मैथिलीशरण गुप्त, गिरिजाकुमार माथुर ,  सुभद्रा कुमारी ,  श्रीमती रेवती, रामावतार त्यागी, धूमिल, विष्णु नागर, दिविक रमेश, राणा प्रताप गन्नौरी, राकेश पांडेय, प्रदीप मिश्र, रोहित कुमार की रचनाएं सम्मिलित की गई हैं। 

इस अंक में नरेन्द्र ललवाणी  की लघुकथा कर्म की महत्ता बताती है तो अमिता शर्मा की लघु-कथाएं 'मात' और 'व्यथा' बदलते परिवेश से परिचय करवा रही हैं।

'कबूतर का घोंसला'  लितेविया की लोक-कथा है।

गत वर्ष हुए 'विश्व हिन्दी सम्मेलन' के दौरान प्रचारित 'हिंदी भाषा गान' का वीडियो देखिए।


हिंदी के विकास की संगीतमय कथा नाटिका - 'अथ हिंदी कथा' का वीडियो देखिए।


गांधी जयंती पर गांधीजी पर विशेष सामग्री। 2 अक्टूबर को शास्त्री जी की भी जयंती होती है - शास्त्री जी पर विशेष सामग्री।

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