उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।

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जगमग जगमग

हर घर, हर दर, बाहर, भीतर,
नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,
कैसी उजियाली है पग-पग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!

छज्जों में, छत में, आले में,
तुलसी के नन्हें थाले में,
यह कौन रहा है दृग को ठग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!

पर्वत में, नदियों, नहरों में,
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वंदना के इन स्वरों में

वंदना के इन स्वरों में, एक स्वर मेरा मिला लो।
वंदिनी माँ को न भूलो,
राग में जब मत्त झूलो,
अर्चना के रत्नकण में, एक कण मेरा मिला लो।
जब हृदय का तार बोले,
शृंखला के बंद खोले,
हों जहाँ बलि शीश अगणित, एक शिर मेरा मिला लो।

-सोहनलाल द्विवेदी


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प्रार्थना

प्रभो,
न मुझे बनाओ हिमगिरि,
जिससे सिर पर इठलाऊँ। प्रभो, न मुझे बनाओ गंगा,
जिससे उर पर लहराऊँ।

प्रभो,
न मुझे बनाओ उपवन,
जिससे तन की छबि होऊँ।
प्रभो, बना दो मुझे सिंधु,
जिससे भारत के पद धोऊँ॥

-सोहनलाल द्विवेदी


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